हमारे शरीर
के 300 से अधिक एंजाइम और हार्मोन को सही से काम करने के लिए ज़िंक की बहुत
आवश्यकता होती है। और यही नहीं उपयुक्त मात्रा में ज़िंक लेने से मीठा खाने की आदत
पर भी काबू किया जा सकता है। साथ ही इसके अनेक फायदे ओर भी होते हैं। डायटीशियन और
स्पोर्ट्स न्यूट्रीशनिस्ट बताते हैं कि ज़िंकयुक्त आहार का सेवन करने से
अर्थराइटिस के दर्द (जो़ड़ो के दर्द) से आराम मिलता है। हालांकि ये केवल अर्थराटिक के लक्षणों को
सामान्य करता है, इसे ठीक करने में जिंक का कोई खास रोल नहीं
होती है।
अर्थराइटिस क्या है :- जो़ड़ो मे दर्द की समस्या को कहते है
अर्थराइटिस या गठिया रोग ।
ज़िंक
कैसे है अर्थराइटिस में फायदेमंद : अर्थराइटिस
की स्थिती में शरीर के जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। हड्डियों का खनिजीकरण करने
के लिए ज़िंक एक महत्वपूर्ण अवयव की तरह काम करता है। साथ ही जिंक प्रतिरोधक
क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने में भी बहुत सहायक होता है। कुछ समय पूर्व हुए एक शोध
से यह बात सामने आयी कि मेनोपॉज़ के बाद जो महिलाएं अपयुक्त मात्रा में ज़िंक लेती
हैं उनके अर्थराइटिस (ख़ासतौर पर रूमेटाइड अर्थराइटिस) होने का खतरा कम हो जाता
है। ज़िंक एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है, जोकि फ्री रैडिकल्स को कम करने में मददगार होते हैं।
गौरतलब है कि फ्री
रैडिकल सूजन व अन्य बड़ी बीमारियों के कारक हो सकते हैं। वहीं एक दूसरे शोध से यह बात
सामने आयी कि ज़िंक के निम्न स्तर और ऑस्टियोपरॉसिस के बीच भी संबंध होते है। इससे
यह साफ होता है कि यदि जिंक की उपयुक्त मात्रा ली जाए तो हड्डियों को मज़बूत बनाने
में मदद की जा सकती है और अर्थराइटिस के लक्षणों को भी कम किया जा सकता है।
सावधानियां
: ध्यान रहे कि डॉक्टर की सलाह के बिना ज़िंक
सप्लीमेंट लेना ठीक नहीं होता है। आपके शरीर को जिंक की जरूरत है या नहीं,
या कितनी जरूरत है, इस संबंध में आप डॉक्टर या
डायटीशियन की सलाह जरुर लें। हालांकि अदरक, तोफू मछली व पालक
आदि को जिंक के प्राकृतिक श्रोतों के रूप में लिया जा सकता है।