क्या आप
जानते है कि विश्व भर में हृदय रोग से पीड़ित लोग अपने बचाव के लिए क्या कुछ नही
करते लेकिन फिर भी जीवन बचाने में असमर्थ रहते हैं। पर नियमित योग करने से हृदय
रोग से बचना संभव है। हृदय रोग हमारे शारीरिक परिश्रम और दैनिक जीवन में प्राप्त
भोजन पर निर्भर करता है। आधुनिक जीवन में शारीरिक परिश्रम कम और भोजन में वसा,
प्रोटीन व कार्बोज की मात्रा बढ़ती जा रही है।
विश्व भर
में दिल के दौरे की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हमारे देश में हर साल
करीब 25 लाख लोग दिल के दौरे के कारण असमय मौत के मुंह में चले जाते हैं। हृदय
रोगों की संख्या के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है लोगों का अपनी सेहत का ख्याल ठीक से
ना रखना। आजकल की व्यस्त जिंदगी में लोग अपने काम को ज्यादा प्रथामिकता देते हैं।
लेकिन जरा सोचिए अगर आप स्वस्थ नहीं रहेंगे तो काम कैसे कर पाएंगे। ऐसे में अगर आप
थोड़ा सा समय योग के लिए निकालें तो आप अपने दिल को चुस्त व रोगमुक्त रख पाएंगे।
आईए जानें हृदय रोग में कौन-कौन से योग करना चाहिए।
ताड़ासन
: सबसे पहले पैरों को एक साथ मिलाकर खड़े हो जाएं।
अब पंजों पर जोर देते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठें एवं दोनों हाथों को मिलाकर ऊपर की ओर
तान दें। इस अवस्था में पूरे शरीर का भार
पैरों के पंजों पर होगा और पूरे शरीर को सीधा ऊपर की ओर तानेंगे। इसे करते समय पेट
को अन्दर की ओर खींचना चाहिए तथा सीना बाहर की ओर तना हुआ रहना चाहिए। कमर-गर्दन
बिल्कुल सीधी रखें। इस आसन का अभ्यास कम से कम 5 बार अवश्य करना चाहिए।
स्वस्तिकासन
: दरी या कंबल बिछाकर बैठ जाएं। इसके बाद दाएं पैर
को घुटनों से मोड़कर सामान्य स्थिति में बाएं पैर के घुटने के बीच दबाकर रखें और
बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाएं पैर की पिण्डली पर रखें। फिर दोनों हाथ को दोनों
घुटनों पर रखकर ज्ञान मुद्रा बनाएं। ज्ञान मुद्रा के लिए तीन अंगुलियों को खोलकर
तथा अंगूठे व कनिष्का को मिलाकर रखें। अब अपनी दृष्टि को नाक के अगले भाग पर स्थिर
कर मन को एकाग्र करें। अब 10 मिनट तक इस अवस्था
में बैठें। इस योग से एकाग्रता बढती है साथ ही हृदय का तनाव कम होता है।
सर्वांगासन
: इस आसन में पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएं फिर
दोनों पैरों को मिलाएं, हाथों की हथेलियों
को दोनों ओर जमीन से सटाकर रखें। अब सांस अन्दर भरते हुए आवश्यकता अनुसार हाथों की
सहायता से पैरों को धीरे-धीरे 30 डिग्री, फिर 60 डिग्री और अन्त में 90
डिग्री तक उठाएं। इससे आपकी पाचन शक्ति ठीक रहती है और रक्त का शुद्धिकरण भी होता
है।
शीर्षासन
: दोनों घुटने जमीन पर टिकाते हुए फिर हाथों की
कोहनियां जमीन पर टिकाएं। फिर हाथों की अंगुलियों को आपस में मिलाकर ग्रिप बनाएं,
तब सिर को ग्रिप बनी हथेलियों को भूमि पर टिका दें। इससे सिर को
सहारा मिलेगा। फिर घुटने को जमीन से ऊपर उठाकर पैरों को लंबा कर दें। फिर
धीरे-धीरे पंजे टिकायें और दोनों पैरों को
पंजों के बल चलते हुए शरीर के करीब अर्थात सिर के नजदीक ले आते हैं और फिर पैरों
को घुटनों से मोड़ते हुए उन्हें धीरे से ऊपर उठाते हुए सीधा कर देते हैं तथा पूर्ण
रूप से सिर के बल शरीर को टिका लेते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है साथ ही
हृदय गति सामान्य रहती है। पर ध्यान रहे इस आसन को सावधानी से करना चाहिए क्योकि
यह थोडा कठिन होता हैं।
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